दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी | अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी | वारी वारी जन्ममरणाते वारी | हरी पडलो आता संकट निवारी || १ || जय देवी जय...
दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी |
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी |
वारी वारी जन्ममरणाते वारी |
हरी पडलो आता संकट निवारी || १ ||
जय देवी जय देवी महिषसूरमथिनी |
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी || धृ ||
त्रिभुवन भुवनी पाहता तुजऐसी नाही |
चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही |
साही विवाद करिता पडिले प्रवाही |
तें तू भक्तालागी पावसी लवलाही || जय || २ ||
प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासा |
क्लेशापासुनि सोडावि तोडी भवपाषा |
अंबे तुजवाचून कोण पुरविल आशा |
नरहरी तल्लिन झाला पदपंकजलेशा |
जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी |
सुरवरईश्वरवरदे तारक || ३ ||
COMMENTS