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दूरदर्शन:(Doordarshan) भारतीय टेलीविजन का ऐतिहासिक सफर और उसकी लोकप्रियता की कहानी
शुरुआत में ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) का प्रसारण हफ्ते में केवल तीन दिन और वह भी केवल आधे घंटे के लिए किया जाता था। यह प्रसारण मुख्यतः स्कूली बच्चों और किसानों के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों पर केंद्रित होता था। उस समय देश में बहुत कम लोगों के पास टीवी सेट हुआ करते थे, और ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) एक नया और अद्भुत माध्यम था। साल 1965 में ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) का प्रसारण हफ्ते में तीन दिन से बढ़ाकर रोजाना कर दिया गया और साथ ही 5 मिनट का समाचार बुलेटिन भी शुरू किया गया।
1975 में ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब छह राज्यों में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) नामक परियोजना शुरू की गई। इसके अंतर्गत सामुदायिक टीवी लगाए गए, ताकि अधिक से अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सकें। इसी वर्ष ‘टेलीविजन इंडिया’ का नाम बदलकर ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) कर दिया गया। यह नाम बदलाव भारतीय टेलीविजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके अगले वर्ष 1976 में, ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) को ऑल इंडिया रेडियो से अलग कर एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित किया गया।
हालांकि, शुरुआत में ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) का विकास धीमा था, लेकिन 1982 इसका स्वर्णिम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष भारत में पहली बार ब्लैक एंड वाइट प्रसारण से हटकर रंगीन प्रसारण शुरू किया गया। इसी वर्ष देश में इनसैट-1 के माध्यम से पहला राष्ट्रीय प्रसारण हुआ, जिसने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। इस दौरान जब एशियाई खेलों का प्रसारण किया गया, तो ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल आया। लोगों ने इसे बड़े चाव से देखना शुरू कर दिया, और ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) हर घर का हिस्सा बन गया।
एशियाई खेलों के बाद ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) ने कृषि दर्शन, चित्रहार और रंगोली जैसे नए और आकर्षक कार्यक्रम पेश किए, जो अत्यधिक सफल हुए। ‘कृषि दर्शन’, जो 1966 में शुरू हुआ, वह देश में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। यह कार्यक्रम किसानों के लिए उपयोगी जानकारियों और तकनीकों का स्रोत बन गया, और आज भी यह ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) पर सबसे अधिक प्रसारित होने वाला कार्यक्रम है।
1986 में ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) ने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक और बड़ा मील का पत्थर स्थापित किया, जब रामायण सीरियल का प्रसारण शुरू हुआ। इस सीरियल ने पूरे देश को अपने जादू में बांध लिया। रामायण के प्रसारण के समय ऐसा प्रतीत होता था जैसे पूरे देश में कर्फ्यू लग गया हो। लोग सड़कों से गायब हो जाते थे और टीवी के सामने बैठ जाते थे। घरों में धार्मिक वातावरण बनता था, अगरबत्ती और दीपक जलाए जाते थे, और सीरियल समाप्त होने के बाद मिठाइयां बांटी जाती थीं। इसके बाद ‘महाभारत’ का प्रसारण हुआ, जिसने भी ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक सीरियल ने न केवल ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) को देशभर में लोकप्रिय बनाया, बल्कि यह भारतीय समाज और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी बन गए। इन धारावाहिकों के माध्यम से दूरदर्शन(Doordarshan) ने भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और मूल्यों को घर-घर तक पहुंचाया। इन दोनों धारावाहिकों ने ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) को नई पहचान दी और इसके बाद चैनल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
‘दूरदर्शन’(Doordarshan) के इस सफर के दौरान अनेक सीरियल और कार्यक्रम प्रसारित हुए जो दर्शकों के दिलों में खास जगह बना सके। ‘हम लोग’, ‘बुनियाद’, ‘महाभारत’, ‘शक्तिमान’ और ‘मालगुड़ी डेज़’ जैसे सीरियल ने टीवी की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी। इसके साथ ही चित्रहार और रंगोली जैसे संगीत कार्यक्रमों ने भी दूरदर्शन की लोकप्रियता को बनाए रखा।
1990 के दशक में, जब निजी चैनलों का आगमन हुआ, तब भी ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में सफल रहा। इसके 24 घंटे के समाचार चैनल की शुरुआत 3 नवंबर 2003 को की गई, जिसने ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) को समाचार प्रसारण के क्षेत्र में नई पहचान दी। आज ‘दूरदर्शन’(Doordarshan) के पास 34 सैटेलाइट चैनल हैं, जिनमें राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, और अंतर्राष्ट्रीय चैनल शामिल हैं। साथ ही 14,000 जमीनी ट्रांसमीटर और 66 स्टूडियो के साथ यह देश का सबसे बड़ा प्रसारणकर्ता है।
दूरदर्शन(Doordarshan) के साथ जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें:
- ‘दूरदर्शन’(Doordarshan)की शुरुआत के लिए यूनेस्को ने भारत को 20,000 डॉलर और 180 फिलिप्स टीवी सेट प्रदान किए थे।
- आज के समय में दूरदर्शन के पास देशभर में 66 स्टूडियो हैं, जिनमें से 17 राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं और बाकी विभिन्न शहरों में फैले हुए हैं।
- ‘दूरदर्शन’(Doordarshan)ने समय-समय पर शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और विज्ञान से संबंधित कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का प्रसारण किया है, जिनका उद्देश्य देश की सामाजिक और आर्थिक उन्नति में योगदान देना रहा है।
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