Indian Stock Market 20 Dec 24 - शेयर बाजार विश्लेषण

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शेयर बाजार विश्लेषण(Indian Stock Market 20 Dec 24): शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, पोर्टफोलियो स्टॉक, क्रैश, 2EV स्टॉक, वारी एनर्जीज

Indian Stock Market 20 Dec 24
Indian Stock Market 20 Dec 24

नमस्ते दोस्तों, डिजिटल न्यूज़ इनफॉर्मेशन में आपका स्वागत है और शुभ संध्या। 
आज(Indian Stock Market 20 Dec 24सेंसेक्स 1176 अंकों की गिरावट के साथ 78042 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 364 अंकों की गिरावट के साथ 23587 पर बंद हुआ। वहीं, बैंक निफ्टी 816 अंकों की गिरावट के साथ 50759 पर बंद हुआ।

दोस्तों, एक सवाल जो हम सभी के मन में आता है, वह यह है कि अभी तक सेंसेक्स, निफ्टी और बैंक निफ्टी तो गिर रहे थे, लेकिन मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयर ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे। लेकिन अब ऐसा क्यों हो रहा है कि हमारे पोर्टफोलियो में रखे गए स्टॉक्स भी भारी नुकसान में जा रहे हैं?

मार्केट में इतनी गिरावट क्यों आई?
अगर आप यह समझना चाहते हैं कि मार्केट में अचानक इतनी गिरावट क्यों आई, तो इसे केवल सरल आंकड़ों को देखकर नहीं समझा जा सकता। इसके लिए गहराई से मार्केट का विश्लेषण करना जरूरी है। मैंने इसे विस्तार से समझाने की कोशिश की है ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

कल और आज के मार्केट का तुलनात्मक विश्लेषण:
कल हमारी मार्केट ने गैप डाउन के साथ ओपनिंग की। उस समय सभी ग्लोबल इक्विटी मार्केट्स, जैसे S&P 500, नैस्डैक और अन्य अमेरिकी बाजारों में 3% की बड़ी गिरावट आई। इसके साथ ही यूरोपीय और एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई।

हालांकि, कल हमारे मार्केट ने गैप डाउन ओपनिंग के बाद मजबूती दिखाई। लेकिन आज 10:45 बजे तक मार्केट की स्थिति ठीक थी। इसके बाद भारी बिकवाली देखने को मिली। खासतौर पर मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्पेस में, जो लार्ज-कैप की तुलना में ज्यादा गिरे।

मिड और स्मॉल-कैप शेयरों की गिरावट:
जब मिड और स्मॉल-कैप शेयर लार्ज-कैप से ज्यादा गिरते हैं, तो यह संकेत होता है कि आने वाले दिनों में मार्केट में और गिरावट आ सकती है। यह गिरावट डर के कारण होती है, और इस समय मिड और स्मॉल-कैप स्पेस में डर का माहौल बना हुआ है।

IT सेक्टर पर असर:
कल जब Accenture के नतीजे आए, तो उनके शेयर में 7% की तेजी आई। इससे भारतीय IT ADRs, जैसे इंफोसिस और विप्रो के शेयर भी 4% तक बढ़ गए। हालांकि, आज IT सेक्टर में भी मुनाफावसूली का माहौल देखा गया।

FII और अन्य प्रमुख कारण:
कल FII (विदेशी संस्थागत निवेशकों) ने लगभग 4200 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। पिछले चार दिनों से FIIs लगातार बिकवाली कर रहे हैं। साथ ही, अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड्स 4.54% तक पहुंच गई हैं, जो निवेशकों को बिना जोखिम के अधिक रिटर्न प्रदान करती हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

डॉलर-रुपया संबंध:
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है। जब निवेशक डॉलर को कमजोर रुपये में बदलते हैं और भारतीय शेयरों में निवेश करते हैं, तो यह उनके लिए जोखिम भरा होता है।

आगे का परिदृश्य:
जब तक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट नहीं आती और डॉलर-रुपये के संबंध स्थिर नहीं होते, तब तक भारतीय बाजार पर दबाव बना रहेगा। हालांकि, अगर बॉन्ड यील्ड्स 4.54% से घटकर 3% या 2% तक आ जाती हैं, तो भारतीय मार्केट में विदेशी निवेशकों की वापसी हो सकती है।

भारतीय शेयर बाजार और वैश्विक प्रभाव: विस्तृत विश्लेषण

दोस्तों, भारतीय इक्विटी बाजारों में हालिया गिरावट और वैश्विक प्रभावों को समझना महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, हमारे बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली अधिक हो रही है। डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के कारण भारतीय बाजारों में निवेश के प्रवाह में बाधा आ रही है।

FII की बिकवाली और बाजार की स्थिति
जब भी डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड बढ़ती हैं, भारतीय बाजारों से निवेश का प्रवाह बाहर की ओर होता है। FII द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली देखी जा रही है। हालांकि, यह स्थिति हमारे बाजारों की संरचनात्मक समस्या नहीं है बल्कि यह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और फंड फ्लो में हो रहे बदलावों का परिणाम है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था का प्रभाव
अमेरिका के हालिया GDP डेटा ने भी इस स्थिति को प्रभावित किया है। GDP वृद्धि 3.1% के करीब रही, जो अनुमान से बेहतर है। एक मजबूत अर्थव्यवस्था के चलते फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में कटौती की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है। इसके अलावा, बेरोजगारी के आंकड़े भी अपेक्षा से कम हैं, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं।

डॉलर और रुपया
डॉलर इंडेक्स की मजबूती और रुपये की कमजोरी भी बाजारों को प्रभावित कर रही है। रुपया 85.3 के स्तर तक कमजोर हो गया है, जिससे IT और फार्मा जैसे निर्यात आधारित सेक्टर्स को फायदा हो सकता है।

IT और फार्मा सेक्टर का प्रदर्शन
IT और फार्मा कंपनियां, जो अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा अमेरिका से प्राप्त करती हैं, मुद्रा विनिमय दरों में बदलाव से लाभान्वित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, इंफोसिस का 60% राजस्व उत्तर अमेरिका से आता है। यदि डॉलर की कीमत 2% बढ़ती है और रुपया 2% कमजोर होता है, तो केवल मुद्रा विनिमय के कारण इन कंपनियों की लाभप्रदता में वृद्धि होगी।

आयात आधारित उद्योगों पर प्रभाव
दूसरी ओर, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स, और कच्चे माल जैसे उत्पादों का आयात करने वाली कंपनियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान करना पड़ता है।

बाजार का भविष्य और रणनीति
कल के बाजार विश्लेषण के अनुसार, बाजार में गिरावट के बाद स्थिरता देखी गई। हालांकि, यह संभावना नहीं है कि बाजार तेजी से ऊपर जाएगा। आने वाले दिनों में बाजार सीमित दायरे में रह सकता है।

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का विश्लेषण

दोस्तों, मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, बस आपको इस पर एक बार नजर डालने के लिए कहूंगा। आज के बाजार में शुरुआती अस्थिरता के बाद,

जब बाजार ने एक बार फिर ऊपर जाने की कोशिश की, तो वह असफल रहा। इसके बाद भी, बाजार ने दो बार उस स्तर के करीब जाने की कोशिश की, लेकिन इसे प्रतिरोध के रूप में लेते हुए फिर से बड़े पैमाने पर गिरावट दर्ज की। आज बाजार में कई बार खरीदारी हुई, लेकिन बड़े निवेशकों की बिकवाली के दबाव ने इसे पूरी तरह से नकारात्मक दिशा में मोड़ दिया।

बाजार को दो दृष्टिकोणों से समझें
यह बाजार की चाल या तो Sensex से जुड़ी हो सकती है, जहां इसे एक्सपायरी के लिए इतनी दूर ले जाया गया हो, या यह मिड और स्मॉल कैप स्पेस के लिए योजना हो सकती है। यदि मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स में 0.5% से 1% की गिरावट होती, तो इसे Sensex की एक्सपायरी से जोड़ा जा सकता था। लेकिन आज Sensex के साथ-साथ मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स में भी बिकवाली देखने को मिली है। यह संकेत देता है कि बाजार में बिकवाली का दबाव अभी भी बना हुआ है।

महत्वपूर्ण स्तर और बाजार की दिशा
हमने पहले भी ब्लॉग में जिन महत्वपूर्ण स्तरों की बात की थी, वे अब भी बाजार के लिए प्रासंगिक हैं। यदि बाजार और गिरता है, तो 23,300-23,200 का स्तर आने वाले समय में देखने को मिल सकता है। यह वह क्षेत्र होगा, जहां निवेशकों को पैसे लगाने का मौका मिल सकता है। वर्तमान में बाजार 24,800 के करीब है। अगर यह फिर से 23,200 तक गिरता है और 24,800 तक चढ़ता है, तो यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा। अगर यह स्तर भी टूटता है, तो अगला महत्वपूर्ण स्तर 22,500 होगा।

थीम आधारित निवेश के अवसर
हाल के समय में कई निवेश थीम उभर रही हैं। यह उन निवेशकों के लिए अच्छा अवसर है,

जो किसी खास थीम में निवेश का इंतजार कर रहे थे। उदाहरण के लिए, टेक्सटाइल और वॉटर सेक्टर संबंधित थीम अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। इसके अलावा, हॉस्पिटल स्टॉक्स पर ध्यान दें, क्योंकि इनमें आज भी ज्यादा गिरावट नहीं देखी गई है।

यदि आप सोच रहे हैं कि क्या ये स्टॉक्स अभी खरीदे जा सकते हैं या नहीं, तो इनसे संबंधित रिसर्च करें और इन्हें अपनी वॉचलिस्ट में जोड़ें। जोखिम कम करने के लिए, फार्मा और हेल्थकेयर, विशेष रूप से हॉस्पिटल स्टॉक्स में निवेश पर विचार करें। आने वाले समय में बाजार में गिरावट होने पर भी ये स्टॉक्स स्थिर रह सकते हैं और आपको नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा।

बाजार में मजबूती की कमी
आज बाजार ने कई बार ऊपर जाने की कोशिश की,

लेकिन इसमें कोई मजबूती नहीं दिखी। जब तक बाजार 23,800 के स्तर तक नहीं पहुंचता और उस पर बंद नहीं होता, तब तक बाजार को सकारात्मक दृष्टि से देखना मुश्किल है।

एफआईआई और बाजार पर उनका प्रभाव
एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) का डेटा भी बाजार के गिरने का एक बड़ा कारण है। एफआईआई ने आज लगभग 3,600 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि पिछले दिनों भी एफआईआई ने 4,200 करोड़ रुपये तक की बिकवाली की थी। म्यूचुअल फंड्स ने भी बाजार का समर्थन करने में कमी दिखाई।

जब तक बॉन्ड यील्ड ऊंचे स्तर पर हैं और डॉलर इंडेक्स मजबूत बना हुआ है, तब तक एफआईआई से संबंधित इनफ्लो की समस्या बनी रहेगी। आने वाले समय में भी भारतीय इक्विटी बाजार को इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

सीमेंस और बाज़ार में गिरावट का विश्लेषण

आज हमने देखा कि सीमेंस जैसी कंपनियां, जिनकी बाजार पूंजी दो-ढाई लाख करोड़ और डेढ़ लाख करोड़ रुपये है, 10% तक गिरावट दर्ज कर रही हैं। यह क्या हुआ है? यदि हम आंतरिक रूप से देखें, तो सीमेंस ने अपनी कॉन्फ्रेंस कॉल में अपने व्यवसाय से संबंधित कुछ घोषणाएं कीं। इन घोषणाओं में तीन मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की गई, जिनका प्रभाव आज बाज़ार पर देखा गया।

सीमेंस के तीन प्रमुख बिंदु

  1. सरकारी खर्च में कमी
    सीमेंस का कहना है कि सरकारी खर्च में कमी आई है, और इसका कारण चुनाव हो सकता है। हालांकि, उनका मानना है कि यह खर्च दूसरे छमाही में फिर से बढ़ेगा। यह सकारात्मक संकेत है।

  2. प्राइवेट कैपेक्स में गिरावट
    निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) में कमी आई है। हालांकि, सेमीकंडक्टर और बैटरी जैसे क्षेत्रों में निजी कंपनियां खर्च कर रही हैं, लेकिन पारंपरिक तकनीक से जुड़े खर्चों में कमी आई है। इसे फिलहाल नज़रअंदाज किया जा सकता है।

  3. HVDC और VSC तकनीक
    सीमेंस के मुख्य व्यवसाय, HVDC तकनीक से जुड़े क्षेत्र में, भविष्य में मजबूत वृद्धि की संभावना है। लेकिन LCCC तकनीक को लेकर उनका मानना है कि यह भारत में बड़ी तकनीक नहीं है। साथ ही, वे VSC तकनीक पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं। इन तीन बिंदुओं का संयोजन सीमेंस और अन्य कैपिटल गुड कंपनियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

कैपिटल गुड सेक्टर पर प्रभाव

इन बयानों के कारण, आज बाज़ार में सीमेंस के शेयर और कैपिटल गुड कंपनियों के शेयरों में बिकवाली का दबाव देखा गया। यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास फिलहाल डगमगाया है।

कैंसर उपचार में रूस की बड़ी सफलता

अब बात करते हैं एक वैज्ञानिक क्रांति की, जो कैंसर उपचार से जुड़ी है। रूस की तरफ से यह दावा किया गया है कि उन्होंने mRNA तकनीक के जरिए एक कैंसर वैक्सीन विकसित की है। यह वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. वैक्सीन मुफ्त वितरण
    रूस ने घोषणा की है कि 2025 से यह वैक्सीन सभी कैंसर रोगियों को मुफ्त में वितरित की जाएगी।

  2. अन्य देशों में अध्ययन
    रूस के अलावा, अमेरिका और यूके जैसे देशों में भी इस तकनीक पर शोध हो रहा है। यह एक बड़ा उद्योग है, जहां वर्तमान में कैंसर उपचार के लिए कीमोथेरेपी और अन्य दवाओं पर अरबों का खर्च होता है।

  3. फार्मा उद्योग की चिंता
    फार्मा कंपनियां कैंसर के इलाज में विशेष रुचि नहीं लेतीं, क्योंकि यह उनका बड़ा व्यवसाय मॉडल बाधित कर सकता है। लेकिन यदि रूस और अन्य देश इस वैक्सीन को लॉन्च कर देते हैं, तो फार्मा कंपनियों को भी इस क्षेत्र में शामिल होना पड़ेगा।

  4. खर्च और कीमत
    रूस में इस वैक्सीन की कीमत लगभग 3 लाख रूबल है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग ₹2,46,000 होती है। यह कीमत कैंसर के मौजूदा इलाज, जिसमें सर्जरी और कीमोथेरेपी शामिल हैं, की तुलना में बहुत कम है।

उपचार के लिए उम्मीद

कैंसर के इलाज में यह एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है। लेकिन इसे जनता तक पहुंचाने से पहले उचित अध्ययन और परीक्षण जरूरी हैं। अन्य देशों को भी इस दिशा में तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि यह इलाज दुनिया भर के लोगों को उपलब्ध हो सके।

MTAR टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड: नई क्लीन एनर्जी और एयरोस्पेस ऑर्डर की घोषणा

आज MTAR टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने क्लीन एनर्जी और एयरोस्पेस सेक्टर में ₹226 करोड़ का ऑर्डर हासिल करने की जानकारी दी। भले ही बाजार में बिकवाली का दबाव हो, MTAR का शेयर 8-9% तक बढ़ा और अंत में 6% की बढ़त के साथ बंद हुआ।

ऑर्डर की मुख्य जानकारी

  1. ब्लूम एनर्जी से ₹191 करोड़ का ऑर्डर
    कंपनी ने अपने प्रमुख ग्राहक ब्लूम एनर्जी से ₹191 करोड़ का क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट हासिल किया है।

  2. नेक्स्ट रफाल IMI सिस्टम्स से ₹35 करोड़ का ऑर्डर
    इसके अलावा, नेक्स्ट रफाल IMI सिस्टम्स से ₹35 करोड़ का एयरोस्पेस ऑर्डर प्राप्त किया गया है।

  3. पूर्णता की समय-सीमा
    ये दोनों प्रोजेक्ट अप्रैल 2026 तक पूरे किए जाएंगे।

निवेशकों की राय

मोतीलाल ओसवाल ने MTAR को "खरीदने" की रेटिंग दी है और ₹2100 का टारगेट जारी किया है। कंपनी लगातार नए ऑर्डर जीतकर अपने मार्केट शेयर को बढ़ा रही है।

Exide और Amara Raja बैटरीज़

Exide Industries ने अप्रैल 2024 में Hyundai और Kia के साथ बैटरी सप्लाई के लिए नॉन-बाइंडिंग एग्रीमेंट साइन किया था। अब Hyundai और Kia ने स्टॉक एक्सचेंज को अपडेट दिया है कि वे Exide को बैटरी और बैटरी पैक सप्लायर के रूप में हायर कर रहे हैं।

  1. Amara Raja का एग्रीमेंट
    Exide के साथ-साथ Amara Raja ने भी इस सेगमेंट में कदम रखा है। Hyundai और Kia के साथ ये साझेदारी बैटरी इंडस्ट्री के लिए सकारात्मक है।

  2. मौजूदा स्थिति
    नॉन-बाइंडिंग एग्रीमेंट को अब आगे बढ़ाते हुए स्थायी रूप दिया जा रहा है।

BASF लिमिटेड

BASF इंडिया का व्यवसाय 6 मुख्य सेगमेंट में फैला हुआ है:

  1. एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस
  2. मैटेरियल्स
  3. इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस
  4. सरफेस टेक्नोलॉजीज़
  5. न्यूट्रिशन एंड केयर
  6. केमिकल्स

कंपनी की 73.3% हिस्सेदारी इसकी पेरेंट कंपनी के पास है। अब BASF इंडिया एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस को एक अलग इकाई के रूप में डिमर्ज कर रही है।

  1. एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस का योगदान
    यह सेगमेंट कंपनी के कुल राजस्व का 14-15% है, यानी करीब ₹2000 करोड़

  2. शेयरधारकों के लिए लाभ
    डिमर्जर से शेयरधारकों के लिए वैल्यू क्रिएशन होगा।

GE Vernova Ltd.

GE Vernova को Sterlite Grid से ₹400 करोड़ का ऑर्डर मिला है। यह हाई वोल्टेज उपकरणों की सप्लाई के लिए है।

  1. ऑर्डर बैकलॉग
    GE Vernova का कुल ऑर्डर बैकलॉग ₹10,000 करोड़ से अधिक है।

  2. HVDC प्रोजेक्ट
    यह भारत में Siemens से जुड़े HVDC प्रोजेक्ट्स का हिस्सा है।

Waaree Solar Ltd.

Waaree Solar ने USA के Texas में 16 GW सोलर मॉड्यूल लाइन के ट्रायल प्रोडक्शन की शुरुआत की है।

  1. प्रोडक्शन फेज़
    ट्रायल प्रोडक्शन के बाद जल्द ही कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू होगा।

  2. अमेरिकी बाज़ार में विस्तार
    यह विकास अमेरिकी बाजार में कंपनी की उपस्थिति को मजबूत करेगा।

Airtel और IGI की अपडेट

  1. Airtel
    Airtel ने 2016 के स्पेक्ट्रम से जुड़े ₹3626 करोड़ का प्रीपेमेंट किया है। यह कंपनी के कर्ज को कम करने का संकेत है।

  2. IGI (इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट)
    IGI का आज मार्केट में 22% लिस्टिंग गेन के साथ डेब्यू हुआ।

निफ्टी और बैंक निफ्टी सपोर्ट और रेसिस्टेंस

  1. निफ्टी
    सपोर्ट: 23520
    रेसिस्टेंस: 23630 और 23690

  2. बैंक निफ्टी
    सपोर्ट: 50350
    रेसिस्टेंस: 50970 और 51250

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